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18 December, 2016 | Rajjat Garg | Meri Soch

आता है ये सबके पास,
जीवन का समां है ये ख़ास,
चाह कर भी कोई न भूल पाता है,
मुझको भी अपना बचपन याद आता है |

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4 December, 2016 | Rajjat Garg | Meri Soch

एक तरफ़ अपने हैं,
दूसरी ओर सपने हैं,
उनकी सुनूं या अपनी मानू,
समझ नई आता किसकी मानू,
लेकिन दिल में उठता है एक शोर,
ले चल खुदा मंज़िल की ओर |

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