Meri Soch
January 2017
2017
ये समाँ जाने को है,
नया समाँ आने को है,
मत करो ग़म उसका जो छूट गया,
आने वाला समाँ कुछ पाने को है |
बदला है अब समाँ,
थोड़ा तुम भी बदल जाना,
बिगड़ तो हैं बहुत चुके,
अब इंसान भी बन जाना |
मिटा कर सभी रंजिश मन की,
आओ नई शुरुआत करें,
मिल कर बैठे यारों के संग,
दिल की हर एक बात करें |
अपने लिए तो सब हैं करते,
थोड़ा औरों के लिए भी जरूरी है,
बदल रहा है देश हमारा,
योगदान हमारा भी जरूरी है |
नए वर्ष की नई सौगातें,
और शुभकामनाएं स्वीकार करो,
खूब नाम हो रोशन तुम्हारा,
और रोशन तुम जहाँ करो |
पहली दफा
जगा दिल के एहसासों को,
खींच रही थी अपनी ओर,
पल भर में सब साफ़ हो गया,
पहली दफा देखा ऐसा चित्त-चोर |
ऐसा था चेहरे का नूर उसका,
लगता था फीका चाँद भी,
पहली दफा देखी ऐसी खूबसूरती,
फीकी लगी लाली भी शाम की |
मीठी सी मुस्कान उसकी,
कानों में रस घोल रही थी,
पहली दफा लगा खामोश आलम,
बस धड़कन दिल की बोल रही थी |
नैनों को बाणों से वो,
दिल भेदते जा रहे थे,
पहली दफा लगा दर्द भी मीठा,
हँस कर हम सहते जा रहे थे |
अल्फाज़ पड़ जाते छोटे,
सब आँखों ने आँखों से बयान किया,
पहली दफा माँगा जब उनसे कुछ,
दिल अपना हमारे नाम किया |
खड़ा हूँ निस्वार्थ मैं,
सेवा में तुम्हारी,
देता ही हूँ कुछ लेता नहीं,
ज़रा कदर करो हमारी |
हम पर ही पक्षियों का घर,
कितनी मेहनत से वो बनाती हैं,
याद करो ज़रा घर अपने को,
जिसमें जान तुम्हारी बस जाती है |
मुझसे ही बनाते तुम माचिस,
मुझ पर ही क़हर बरसाते हो,
इतने खुदगर्ज़ हो गए हो तुम,
मुझ को मुझी से जलाते हो |
आते हैं लोग मुझे काटने ,
धूप में वो थक जाते हैं,
काटने से पहले भी अक्सर,
वो छाँव में मेरी बैठ जाते हैं |
अपने लिए मैं कुछ नहीं कहता,
तुम ये कब समझ पाओगे,
साँस हो जाएगी बंद तुम्हारी,
अगर हमको तुम कटवाओगे |