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November 2016

माँ

Maa

चारों ओर नज़र तुम आती,
ममता भरी छाँव मुझको भाती,
पवित्र है तेरी आत्मा माँ,
मेरे लिए तू ही मेरा परमात्मा माँ |

धूप में ढाल बन जाती हो,
बहते आँसू रुमाल बन जाती हो,
देखूँ जब भी मैं तेरी ओर,
दिल में ओर उतर जाती हो |

जब मैं छोटा बच्चा था,
तेरी ऊँगली पकड़ कर चलता था,
तुम जो होती संग मेरे,
फिर न किसी से डरता था |

गलती जब मैं करता था,
तुम डाँट गले लगाती थी,
इसी प्यार के लिए तुम्हारे माँ,
मैं जान बूझ गलती करता माँ |

तुझसे रिश्ता तोड़कर,
किसने है सुख पाया,
क्षमा करना मुझको माँ,
अगर हो दिल दुखाया |

तुझ बिन मैं रह नहीं सकता,
दुःख तेरा मैं सह नहीं सकता,
एक ही दुआ मेरी रब्ब से माँ,
जिए हज़ारों साल तू माँ |

                            Rajjat Garg

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